समस्या समाधान विधि के जनक, उदाहरण और सोपान samasya samadhan vidhi ke janak

समस्या समाधान विधि के जनक Father Smasya samadhan vidhi 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख समस्या समाधान विधि के जनक (Father Smasya samadhan vidhi) में।

दोस्तों यहाँ आप समस्या समाधान विधि क्या है? के साथ समस्या समाधान विधि के सोपान, समस्या समाधान विधि के जनक के साथ विशेषताएँ और सीमाएँ भी पड़ेंगे। तो आइये शुरू करते है, यह लेख समस्या समाधान विधि:-

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समस्या समाधान विधि

समस्या समाधान विधि क्या है Samasya samadhan vidhi kya hai

समस्या समाधान विधि एक वह विधि है, जिसमें छात्रों को किसी प्रकार की समस्या दी जाती है और छात्र उसका समाधान स्वयं करते है।

समस्या समाधान विधि पूरी तरह से वैज्ञानिक विधि मानी जाती है और इसका उपयोग शिक्षण के लिए अर्थात उच्च स्तरीय शिक्षण के लिए प्रयोग में लाया जाता है, क्योंकि इसके माध्यम से शिक्षण के उच्च स्तर के अधिगम विश्लेषण संश्लेषण और मूल्यांकन का विकास आसानी से किया जा सकता है।

यह एक ऐसी विधि है, जिसमें विद्यार्थियों को स्वयं करके सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है इसप्रकार विद्यार्थी स्वयं समस्या का समाधान निकालते हैं और आगे बढ़ते जाते हैं तथा स्वयं सीखते हैं। 

शिक्षा शास्त्री गुड का कहना है, कि यह एक ऐसी शिक्षण विधि है, जिसमें चुनौतीपूर्ण स्थितियों को उत्पन्न कर जिनका हल आवश्यक हो उन्हें सिखाने को प्रोत्साहित किया जाता हो समस्या समाधान

में सृजनात्मक चिंतन निहित होता है और इसके अंतर्गत चिंतन स्तर पर शिक्षण की व्यवस्था की जाती है। इसके माध्यम से निम्न स्तरीय अधिगम को उच्च स्तरीय अधिगम में विकसित करने का भी कार्य होता है, जो निम्न प्रकार से हो सकता है:- 

प्रथम प्रकार की समस्याएँ पाठ्यवस्तु के संबंध में नीति नियम तथा निर्णय लेने से संबंधित हो सकती हैं।

द्वितीय प्रकार की समस्याएँ पाठ्यवस्तु के संबंध में मूल्यों के निर्णय लेने से संबंधित हो सकती हैं।

तृतीय प्रकार की समस्याएँ तथ्यात्मक सूचनाओं के संबंध में खोज से संबंधित हो सकती हैं।

समस्या समाधान विधि के जनक Samasya samadhan vidhi ke janak

समस्या समाधान विधि के जनक :- समस्या समाधान विधि एक प्राचीन विधि है, जो गुरुओं के द्वारा आश्रम में रहने वाले छात्रों के लिए प्रयुक्त होती थी। प्राचीन काल में समस्या समाधान विधि के जनक महान दार्शनिक सुकरात (Socrates) है, जबकि आधुनिक जगत में समस्या समाधान विधि के जनक जॉन डीवी (john dewey) को माना जाता है।

समस्या समाधान विधि का उपयोग Uses of Smasya samadhan vidhi 

  1. समस्या समाधान विधि का उपयोग उस समय अधिक उपयोगी हो जाता है, जब कोई समस्या किसी पाठ्यवस्तु से संबंधित होती हो।
  2. जब समस्या स्पष्ट और बोद्धगम्य हो तब समस्या समाधान विधि का उपयोग होता है।
  3. समस्या समाधान विधि का उपयोग वाद-विवाद करने लायक समस्या के समाधान के लिए भी किया जाता है।
  4. समस्या की प्रकृति ऐसी हो जिस पर मौलिक और सृजनात्मक चिंतन किया जा सके, ऐसी स्थिति में इस विधि का उपयोग करना ठीक रहता है।
  5. समस्या महत्वपूर्ण हो और सार्थक हो और वह प्रत्यक्ष रूप से विद्यार्थियों के जीवन से संबंधित हो तो ऐसी स्थिति में भी समस्या समाधान विधि का उपयोग करना ठीक रहता है।

समस्या समाधान विधि के चरण Samasya samadhan vidhi ke charan

समस्या समाधान विधि के निम्नलिखित पद हो सकते हैं:- 

  1. समस्या की पहचान करना :- इस पद के अंतर्गत पहले छात्रों द्वारा समस्या को पहचाना जाता है।
  2. समस्या को परिभाषित करना :- इस पद में समस्या को समझा जाता है।
  3. समस्या का विश्लेषण करना :- यहाँ पर समस्या का विश्लेषण होता है।
  4. आंकड़ों का संकलन करना :- यहाँ पर समस्या के विश्लेषण में जो आंकड़े मिलते है, उन्हें संगठित किया जाता है।
  5. आंकड़ों का वर्गीकरण और व्यवस्था :- अब उन आंकड़ों का वर्गीकरण और व्यवस्थीकरण किया जाता है।
  6. आंकड़ों का विश्लेषण करना:- अब आंकड़ों का विश्लेषण होता है।
  7. आंकड़ों का निष्कर्ष निकालना:- यहाँ विश्लेषण आंकड़ों से समस्या का निष्कर्ष निकाला जाता है।
  8. परिणामों की सत्यता की जांच करना :- अब जो परिणाम प्राप्त हुए है, उनकी सत्यता की जाँच होती है।
  9. परिणामों का उपयोग करना :- अन्त में प्राप्त परिणामों का उपयोग किया जा सकता है।

समस्या समाधान विधि की विशेषताएँ Smasya samadhan vidhi ki visheshtayen 

समस्या समाधान विधि की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैं:- 

  1. समस्या समाधान विधि एक ऐसी विधि है, जो तर्क संज्ञान और गतिविधियों पर आधारित होती है।
  2. समस्या समाधान विधि के माध्यम से ही बच्चों में रचनात्मकता उनमें चिंतन का विकास आसानी से किया जा सकता है।
  3. इस विधि के माध्यम से बच्चों में स्वतंत्र रूप से कार्य करने की आदतों का निर्माण करना उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने की स्वीकृति देना शामिल होता है।
  4. समस्या समाधान विधि से जो ज्ञान प्राप्त होता है, वह ज्ञान बालक का स्थाई और टिकाऊ ज्ञान होता है।
  5. समस्या समाधान विधि के माध्यम से बच्चों को वास्तविक जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए तैयार आसानी से किया जा सकता है।

समस्या समाधान विधि की सीमाएँ Smasya samadhan vidhi ki seemayen 

समस्या समाधान विधि की प्रमुख सीमाएँ या निम्न प्रकार से हैं:- 

  1. समस्या समाधान विधि के द्वारा एक पाठ्यक्रम के अंतर्गत आने वाली सभी पाठयवस्तु की समस्याओं का समाधान नहीं जा सकता है।
  2. कई बार समस्या की प्रकृति इतनी जटिल भी होती है, कि बच्चे उसे सुलझाने में असमर्थ हो जाते हैं, ऐसी अवस्था पर समस्या समाधान विधि का उपयोग नहीं हो पाता।
  3. समस्या समाधान विधि में योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों का मार्गदर्शन भी नहीं मिल पाता है।
  4. कई बार समस्या स्पष्ट नहीं होती है, वह गम्य नहीं होती हैं ऐसी स्थिति में बालक उस समस्या को सुलझा नहीं पाते उसका समाधान नहीं कर पाते।

दोस्तों यहाँ आपने समस्या समाधान विधि (Smasya samadhan vidhi) समस्या समाधान विधि के जनक, के अंतर्गत कई तथ्य पढ़े। आशा करता हूँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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