समावेशी शिक्षा की विशेषताएँ Features of inclusive education
दोस्तों आपका इस लेख समावेशी शिक्षा की विशेषताएँ Features of inclusive education समावेशी शिक्षा क्या है? (what is inclusive education) में बहुत-बहुत स्वागत है। इस लेख में समावेशी शिक्षा क्या है? इसकी विशेषताएँ तथा सिद्धांतो के बारे में समझाया गया है।
यह लेख शिक्षा से सम्बंधित है, कियोकि विधार्थी के पास शिक्षा ही वह माध्यम है, जिसके द्वारा विधार्थी अपने भविष्य का निर्माण करता है, इसलिए शिक्षा सभी वर्ग के बालक और बालिकाओं के लिए बहुत आवश्यक है, और समावेशी शिक्षा सभी को शिक्षा प्रदान करने का तरीका है, तो आइये शुरू करते है, यह लेख समावेशी शिक्षा की विशेषताएँ:-
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समावेशी शिक्षा क्या है what is inclusive Education
समावेशी शिक्षा क्या है- वह शिक्षा (Education) जो सभी नागरिकों (Citizen) तथा उनके बालकों में शिक्षा के समान अवसर (Right to education) के रूप में उन्हें एक अधिकार प्रदान करती है, वह समावेशी शिक्षा कहलाती है।
दूसरे शब्दों में कह सकते हैं, कि समावेशी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों कों समानता के अधिकार को पहचानने और उनमें समावेशी आवश्यकताओं के साथ-साथ शिक्षा के समान
अवसर उपलब्ध कराना है, जो बाधित छात्र-छात्राएँ होते हैं, तथा शिक्षा से वंचित होते हैं, उन्हें कुछ प्रतिबंधित वातावरण दिया जाना चाहिए, जो शिक्षण संस्थाओं में दिया जाता है।
अतः समावेशी शिक्षा वह शिक्षा है, जिसमें अपंग बालकों (Handicapped children) के साथ-साथ प्रतिभाशाली बालक (Gifted child) भी सामान्य स्कूल में अन्य बालकों की तरह शिक्षा प्राप्त करते है।
साधारण शब्दों में कहा जा सकता है, कि समावेशी शिक्षा उस शिक्षा को कहते हैं, जिसमें सामान्य तथा प्रतिभाशील छात्र-छात्राओं के साथ शारीरिक
तथा मानसिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राएँ बिना किसी भेदभाव (Discrimination) के शिक्षा प्राप्त करते हैं, वह समावेशी शिक्षा कहलाती है।
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समावेशी शिक्षा की परिभाषा Defination
समावेशी शिक्षा क्या है, इसे समझाने के लिए कई प्रकार के विद्वानों शिक्षाविदों ने अलग-अलग परिभाषाएँ दी हैं, जो निम्न प्रकार से हैं:-
- स्टीफन और ब्लैकहर्ट के अनुसार,- शिक्षा की मुख्य धारा का अर्थ छात्र,- छात्राओ की सामान्य कक्षाओं में शिक्षण व्यवस्था करना है। यह अवसर मनोवैज्ञानिक सोच पर आधारित है, यह व्यक्तिगत योजना के द्वारा मानवीकरण सामाजिक, अधिगम को बढ़ावा देती है।"
- शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार - समावेशी शिक्षा अधिगम के ही नहीं बल्कि विशिष्ट अधिगम के नए आयाम प्रदान करती है।"
- अन्य शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार - वह शिक्षा जिसमें सामान्य छात्र-छात्राएँ तथा विशिष्ट छात्र-छात्राएँ एक ही विद्यालय में बिना किसी भेदभाव के एक साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं।"
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समावेशी शिक्षा की विशेषताएँ Characteristics of inclusive education
- समावेशी शिक्षा एकशिक्षा की ऐसी व्यवस्था है, जिसमें सामान्य बालक के साथ-साथ शारीरिक तथा मानसिक रूप से कमजोर बालक भी शिक्षा एक साथ ग्रहण करते है, यह समावेशी शिक्षा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।
- समावेशी शिक्षा एक ऐसी शिक्षा पद्धति है, जिसके द्वारा, जो बच्चे बहुत कम शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से कमजोर होते हैं, उन्हें समावेशी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश कराया जाता है, किंतु गंभीर रूप से शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए विशेष संस्थाएँ (Special institutions) उपलब्ध हैं।
- समावेशी शिक्षा की विशेषता है, कि अपंग छात्रों को कम प्रतिबंधित तथा अधिक प्रभावी वातावरण उपलब्ध कराने की शिक्षा है, जिससे वे सामान्य बालकों के समान ही जीवन यापन करने में सफल हो सके।
- समावेशी शिक्षा की यह विशेषता है, कि यह अपंग बालकों को शिक्षा के समान अवसर भी प्राप्त कराती है, जिसमें वे समाज के अन्य लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सके और आत्मनिर्भर बन सकें।
- समावेशी शिक्षा में जो बच्चे शारीरिक मानसिक रूप से कमजोर होते हैं, उनको सामान्य बालकों के समान ही सुविधाएँ दी जाती है और उनके सामान ही उन्हें समझा जाता है।
- समावेशी शिक्षा एक विशेष प्रकार का आयाम है जिसमें समावेशी शिक्षा के समानता और अवसर अभी तक अपंगों को नहीं दिये गए उन बालकों को मूल रूप से शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त कराना है।
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समावेशी शिक्षा के कार्य Work of inclusive education
समावेशी शिक्षा के अंतर्गत जो भी छात्र-छात्राएँ शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें विशेष प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध कराना है, जिसके अंतर्गत निम्न प्रकार के छात्र-छात्राएं रखे गए हैं:-
- समावेशी शिक्षा के अंतर्गत मानसिक मंदबुद्धि वाले छात्र- छात्राएँ जो शिक्षा के योग्य हो उसे शामिल किया गया है।
- कुछ ऐसे छात्र-छात्राएँ, जिन्होंने संप्रेषण में निपुणता तथा पढ़ना लिखना सीख लिया हो।
- श्रवण बाधित छात्र-छात्राएँ इसमें सिम्मिलित किये जाते है।
- वे छात्र जो अस्थि बाधित है उन्हें यहाँ से लाभ प्राप्त होता है।
- अधिगम असमर्थ छात्र-छात्राएँ इसके अंतर्गत आते है।
- मानसिक मंद बुद्धि वाले छात्र,- छात्राएँ जो शिक्षा के योग्य हो।
- अंधे छात्र-छात्राएँ, जिन्होंने ब्रेल लिपि में पढ़ने और लिखने का शिक्षण प्राप्त कर लिया हो तथा उन्हें विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता हो।
समावेशी शिक्षा का उद्देश्य क्या है? Aim of inclusive education
- समावेशी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य शारीरिक रूप से बाधित छात्र छात्राओं का पुनर्वास (Rehabilitation) कराया जाना है।
- शारीरिक बाधित दशा को बढने से पहले कि वे गंभीर स्थिति को प्राप्त हो उनके रोकथाम के लिए सर्वप्रथम उपाय किया जाना। बालकों को सीखने की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की विविध नवीन तकनीकों का विकास करना।
- शारीरिक दोष युक्त विभिन्न छात्र-छात्राओं को विशेष आवश्यकताओं की सर्वप्रथम पहचान करना तथा प्रदान करना
- शारीरिक रूप से, जो बालक बाधित हैं, उनकी शिक्षा समस्याओं की जानकारी प्राप्त करना तथा निदान करना
- मानसिक रूप से बाधित छात्र-छात्राओं की विविध समस्याओं की जानकारी प्राप्त करना तथा उनका निदान करना।
- छात्र-छात्राओं की असमर्थताओं को पता लगाना तथा उनकी उनको दूर करना।
समावेशी शिक्षा के सिद्धांत Principles of inclusive education
- नियंत्रित वातावरण - समावेशी शिक्षा का सिद्धांत नियंत्रित वातावरण (Controlled environment) पर कार्य करता है। समावेशी शिक्षा में जहाँ तक संभव हो सके शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा एक ही कक्ष में साथ साथ होनी चाहिए तथा समावेशी कक्षा बाधित छात्रों को न्यूनतम विघ्न डालने वाला वातावरण प्रदान करती है।
- माता-पिता का सहयोग - समावेशी शिक्षा के सिद्धांत में माता-पिता का सहयोग निहित है, यदि शारीरिक और मानसिक रूप से बाधित छात्र-छात्राओं के माता-पिता शिक्षण कार्यक्रमों में रुचि ले रहे हैं, तो इन शिक्षण कार्यक्रमों को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।
- विशिष्ट प्रक्रिया - इस प्रक्रिया में शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर छात्र छात्राओं के माता-पिता को विद्यालय की व्यवस्था निर्धारण तथा उनका विश्लेषण करने का पूर्ण अधिकार है, जहाँ पर बालकों को उनके अनुसार शिक्षा दी जा सके यदि माता-पिता शिक्षण संस्था की कार्यप्रणाली (Modus operandi) से असंतुष्ट हैं तो वह बालकों को उस संस्था से निकालकर किसी अन्य उपर्युक्त शिक्षा संस्थान में प्रवेश दिला सकते हैं।
- आविभेदी शिक्षा - ऐसे विद्यार्थियों की पहचान करनी चाहिए जो शिक्षा की आवश्यकता का अनुभव करते हैं। जिससे उन्हें दी जाने वाली शिक्षा का उपयुक्त स्वरूप सुनिश्चित किया जा सके तथा प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत रूप से परीक्षा होनी चाहिए इसके पश्चात सभी छात्रों को विशिष्ट शिक्षा के कार्यक्रम में रखा जाना चाहिए। समय-समय पर ऐसे बालकों की कठिनाइयों और समस्याओं और उनकी प्रगति का भी परीक्षण किया जाना चाहिए।
- व्यक्तिगत भिन्नता - व्यक्तिगत भिन्नता दो प्रकार की होती है दो व्यक्तियों में अंतर और मनुष्य का स्वयं से भेद क्योंकि कुछ छात्र अन्य छात्रों से बहुत से गुणों में सर्वथा भिन्न होते हैं, जो शिक्षा की ओर विशेष झुकाव भी रखते हैं ऐसे छात्रों की आवश्यकताएँ (Requirements) पहचान कर उन्हें पूरी करना होता है।
- व्यक्तित्व शिक्षा कार्यक्रम - समावेशी शिक्षा का सिद्धांत है, व्यक्तित्व शिक्षा कार्यक्रम, जिन विद्यार्थियों को विशेष शिक्षा की आवश्यकता है। उन्हें व्यक्तिगत व शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन कराकर उनके लिए विशिष्ट कक्षाएं (Special classes) संचालित की जानी चाहिए।
समावेशी शिक्षा के लाभ Benefits of inclusive education
- समावेशी शिक्षा के कई लाभ है, जिनमें सर्वप्रमुख लाभ होता है विशिष्ट अक्षम और सामान्य बालको के साथ मिलकर सामान्य विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करना।
- समावेशी शिक्षा में एक समय एक स्थान पर सभी बालकों को अक्षम विशिष्ट और सामान्य बालको को सभी प्रकार का लाभ प्राप्त होता है।
- समावेशी शिक्षा में अक्षम बच्चें भी सभी सभी बच्चों के साथ पढ़ते है, उन्हें बहिष्कार का शिकार नहीं होना पढता।
- समावेशी शिक्षा में सभी छात्रों में सद्भावना भाईचारे सहयोग के गुण जाग्रत होते है।
- FAQs For Inclusive Education
Q.1. समावेशी शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
Ans. समावेशी शिक्षा से तात्पर्य उस शिक्षा से है, जिसमें सभी प्रकार के बालकों की शिक्षा व्यवस्था उनकी आवश्यकता के अनुरूप की जाती है।
Q.2. समावेशन से क्या तात्पर्य है?
Ans. विशेष आवश्यकता वाले बालक को सामान्य बालक के साथ एक कक्षा में उनकी जरूरत के अनुरूप शिक्षा देना समावेशन है।
Q.3. समावेशी शिक्षा कब शुरू हुई?
Ans. समावेशी शिक्षा की शुरुआत 1784 में पेरिस से हुई थी।
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