जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय Jaiprakash Bharati ka Jivan Parichay

जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय Jaiprakash Bharati ka Jivan Parichay 

दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय (Jaiprakash Bharati ka Jivan Parichay) में। दोस्तों इस लेख के माध्यम से

आज आप जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय उनकी रचनाएँ तथा भाषा शैली जानेंगे, तो आइए दोस्तों बढ़ते हैं, इस लेख में और जानते हैं जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय:-

जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय

जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय Jaiprakash Bharati ka Jivan Parichay 

हिंदी साहित्य में हिंदी बाल साहित्य के निर्माता और हिंदी बाल पत्रिका नंदन के संपादक जयप्रकाश भारती का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर मेरठ में 1936 में हुआ था। जयप्रकाश भारती के पिता का नाम

रघुनाथ सहाय था, जो एक प्रसिद्ध एडवोकेट (Advocate) और कांग्रेस के सक्रिय नेता हुआ करते थे। इनकी माता जी का नाम पारुल रानी देवी था, जो एक ग्रहणी थी।

जयप्रकाश भारती ने बीएससी (Bsc) तक की परीक्षा अपने मेरठ नगर से ही पास की इसके बाद उन्होंने एमए (MA) भी किया, किंतु अपने पिताजी के समाजसेवी स्वभाव (Social worker Nature) के कारण उन पर भी उनके स्वभाव का असर पड़ा

और उन्होंने अपने स्नातक छात्र जीवन से ही विभिन्न समाज सहयोगी संस्थाओं में रहकर कार्य करना शुरू कर दिया। अतः सामाजिक कार्य के लिए उन्होंने निशुल्क पाठशाला की भी व्यवस्था

गरीब और अनाथ छात्रों के लिए की। जयप्रकाश भारती की संपादन और पत्रकारिता दोनों ही क्षेत्र में रुचि रही थी, इसीलिए उन्होंने संपादन कला विशारद की उपाधि प्राप्त करके मेरठ नगर से ही प्रकाशित

दैनिक प्रभात और दिल्ली से प्रकाशित नवभारत टाइम्स (Navbharat Times) में व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया और इसके बाद वे सप्ताहिक हिंदुस्तान के

सह संपादक पद के रूप में आसीन हो गए। इसके बाद उन्होंने बाल हिंदी साहित्य में नंदन बाल पत्रिका (Nandan Baal Patrika) प्रकाशित की और उसके संपादक बने।

जयप्रकाश भारती का साहित्यिक परिचय Jaiprakash Bharati ka sahityik Parichay 

जयप्रकाश भारती ने एक सशक्त लेखक पत्रकार और संपादक के रूप में हिंदी साहित्य में प्रवेश किया। हिंदी साहित्य सेवा में रत रहने के कारण उन्होंने अनेक पुस्तकों का संपादन भी किया,

किंतु सबसे पहले उन्होंने पत्रकारिता में प्रवेश किया और पत्रकारिता का व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात जीवन में उपयोग आने वाली सामग्री को रोचक तरीके से प्रकाशित करने का उद्देश्य

अपने जीवन में बना लिया। जयप्रकाश भारती ने बाल साहित्य से संबंधित अनेक प्रकार की रचनाएँ हिंदी साहित्य को प्रदान की।

उन्होंने अपनी लेखन कला के द्वारा गंभीर और नीरस विषय को भी सरल और आश्चर्यचकित आकर्षित करने वाले विषयों में परिवर्तित करके उनको प्रकाशित किया।

बालकों को (Moral, social, religious, political) नैतिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक ज्ञान प्रदान करने के लिए उन्होंने इन सभी विषयों पर गहन अध्ययन किया

और इनको बड़ी ही सरल भाषा में परिवर्तित करके बच्चों के सामने प्रस्तुत किया और बाल साहित्य को एक मजबूत साहित्य के रूप में स्थान दे दिया।

जयप्रकाश भारती की रचनाएँ Compositions of Jaiprakash Bharati 

जयप्रकाश भारती ने कई पुस्तकों का सृजन किया है और उनका सम्मान यूनेस्को, भारत सरकार के द्वारा किया गया है उनमें से कुछ पुस्तकें निम्न प्रकार से हैं:-

देश हमारा, अनन्त आकाश, हमारे गौरव के प्रतीक, हिमालय की पुकार, अथाह सागर, विज्ञान की विभूतियाँ, चलो चाँद पर चलें, सरदार भगतसिंह, ऐसे थे हमारे बापू, बर्फ की गुड़िया, भारत की प्रतिनिधि लोक-कथाएँ,

हिन्दी की सौ श्रेष्ठ पुस्तकें, हिन्दी पत्रकारिता : दशा और दिशा बाल पत्रकारिता, स्वर्ण युग की ओर, हिन्दी के श्रेष्ठ बालगीत, एक थाल मोतियों भरा : जीवन निर्माण की प्रेरक कथाएँ, भारतीय बाल साहित्य का इतिहास

जयप्रकाश भारती की भाषा शैली Jaiprakash Bharati ki Bhasha Shaili 

जयप्रकाश भारती की भाषा शैली कई विषमताओं से युक्त है, जिसे हम निम्न प्रकार से समझते हैं:-

भाषा :- जयप्रकाश भारती ने अपनी रचनाओं में सरल साहित्य की हिंदी भाषा का प्रयोग किया है, क्योंकि उनकी अधिकांश रचनाएँ बाल साहित्य से संबंधित है, इसीलिए उन्होंने अपनी

रचनाओं में भाषा को बिल्कुल सरल रूप में महत्व दिया है। विज्ञान से संबंधित विषयों में उन्होंने विज्ञान को परिभाषित शब्दावली का प्रयोग करके उसे रोचक और सरल बना दिया है।

शैली :- जयप्रकाश भारती जी ने अपनी रचनाओं में निम्न प्रकार की शैलियों का प्रयोग किया है:-

  1. वर्णनात्मक शैली :- जयप्रकाश भारती ने अपनी रचनाओं में सबसे अधिक वर्णनात्मक शैली को महत्व दिया है, इस शैली के द्वारा उन्होंने अपनी रचनाओं के हर एक विषय को भलीभांति सरल भाषा में वर्णन किया है, एक उदाहरण के अनुसार हम इसे समझ सकते हैं:- अंतरिक्ष युग का सूत्रपात 4 अक्टूबर 1957 को हुआ था जब सोवियत संघ ने अपना प्रथम अंतरिक्ष यान स्पूतनिक छोड़ा था और प्रथम अंतरिक्ष यात्री बनने का गौरव यूरी गागरिन को प्राप्त हुआ।
  2. चित्रात्मक शैली :- जयप्रकाश भारती ने अपनी रचनाओं में सजीव चित्रात्मक शैली का उपयोग किया है। वे अपनी रचनाओं में इस प्रकार से घटनाओं का वर्णन करते हैं, कि मन मस्तिष्क पर उनकी आकृति उनका चित्र उभर जाता है।
  3. भावात्मक शैली:- भारती जी की रचनाओं में कहीं-कहीं पर भावात्मक शैली की भी झलक देखने को मिल जाती है, जैसे कि यह पृथ्वी मानव के लिए पालने के समान है, इसीलिए वह हमेशा-हमेशा के लिए इसकी परिधि में बंधा नहीं रह सकता।

जयप्रकाश भारती को सम्मान Award to Jayprakash Bharti 

जयप्रकाश भारती को उनकी कई कृतियों के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन्न पुरुस्कारों से सम्मानित किया है, जबकि उन्हें यूनेस्को द्वारा भी सम्मानित किया गया है। हिमालय की पुकार , अनन्त आकाश, अथाह सागर यूनेस्को द्वारा सम्मानित है, जबकि विज्ञान की विभूतियाँ , देश हमारा देश,चलो चाँद पर चलें को भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है।

जयप्रकाश भारती का साहित्य में स्थान Jaiprakash Bharati ka Sahitya Mein sthan 

जयप्रकाश भारती हिंदी साहित्य, बाल साहित्य पत्रकारिता तथा वैज्ञानिक लेखों के लिए बहुत ही प्रसिद्ध हुए हैं। उन्होंने रिपोर्ताज, कई लेख हिंदी साहित्य को प्रदान को प्रदान किये है,

उन्होंने वैज्ञानिक तथ्यों को सरल रोचक बनाकर हिंदी साहित्यकारों को आकर्षित भी किया है,ऐसे महान व्यक्ति को हिंदी साहित्य में हिंदी बाल साहित्य के युगदाता के रूप में हमेशा जाना जाता रहेगा।

दोस्तों आपने यहाँ जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय (Jaiprakash Bharati ka Jivan Parichay) पढ़ा आशा करता हूँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

  • FAQs for Jayprakash Bharti

Q.1. जयप्रकाश भारती का जन्म कब और कहाँ हुआ?

Ans. जयप्रकाश भारती का जन्म 2 जनवरी 1936 में उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर मेरठ में हुआ था।

Q.2. जयप्रकाश भारती किस युग के कवि हैं?

Ans. जयप्रकाश भारती हिंदी बाल युग के जनक और प्रसिद्ध कवि माने जाते है।

Q.3. हिमालय की पुकार के लेखक का क्या नाम है?

Ans. हिमालय की पुकार के लेखक जयप्रकाश भारती है।

Q.4. अनंत अथाह किसकी रचना है?

Ans. अनंत अथाह जयप्रकाश भारती की रचना है।

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