पाठ्यक्रम का अर्थ और परिभाषा Meaning of Curriculum and definition

पाठ्यक्रम का अर्थ और परिभाषा Meaning of Curriculum and definition 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख पाठ्यक्रम का अर्थ तथा परिभाषा (Meaning of Curriculum and definition) में दोस्तों

इस लेख के माध्यम से आज आप पाठ्यक्रम क्या है? पाठ्यक्रम का अर्थ पाठ्यक्रम की परिभाषा के साथ ही पाठ्यक्रम की उपयोगिता आवश्यकता के बारे में जानेंगे, तो आइए दोस्तों बढ़ते हैं, इस लेख में पाठ्यक्रम का अर्थ परिभाषा और आवश्यकता:-

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पाठ्यक्रम का अर्थ और परिभाषा

पाठ्यक्रम क्या है what is curriculum 

पाठ्यक्रम को अंग्रेजी में कुरीकुलम (curriculum) कहा जाता है, जो एक लैटिन भाषा का शब्द है तथा लैटिन भाषा के शब्द कुर्रेर से बना हुआ है,

जिसका अर्थ होता है "दौड़ का मैदान" अर्थात पाठ्यक्रम वह एक आयाम होता है, जिसके द्वारा अपने निश्चित स्थान पर पहुँचा जाता है।

साधारण शब्दों में कह सकते हैं, कि पाठ्यक्रम वह एक क्रमपूर्ण व्यवस्था है, जिसके माध्यम से शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जाता है।

इसीलिए विद्यालय में रहते हुए छात्र तथा छात्राएँ जिस प्रकार की क्रियाएँ, प्रायोगिक के अध्ययन, सभी प्रकार की अध्ययन से संबंधित क्रियाएँ करते हैं,

वह क्रियाएं अध्यापक के संरक्षण में रहकर पाठ्यक्रम के द्वारा ही निश्चित होती हैं, अर्थात पाठ्यक्रम के अनुसार ही की जाती है, जिन्हें ठीक प्रकार से पूरा करने पर शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जाता है। 

पाठ्यक्रम का अर्थ Meaning of curriculum

पाठ्यक्रम का अर्थ होता है शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान देना जिसका निर्धारण राज्य सरकार तथा विभिन्न शैक्षिक बोर्डो के द्वारा तय किया जाता है

और सभी विद्यालयों का यह उत्तरदायित्व बन जाता है, कि वे अपने विद्यालयों में उस पाठ्यक्रम को ठीक प्रकार से संचालित करें, क्योंकि पाठ्यक्रम के अभाव में ना तो शिक्षक ठीक प्रकार से शिक्षार्थियों को शिक्षा

दे सकता है और ना ही शिक्षार्थी ठीक प्रकार से शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं, इसीलिए पाठ्यक्रम का अर्थ निम्न तीन रूपों में ठीक प्रकार से समझते हैं:-

पाठ्यक्रम का शाब्दिक अर्थ Literal meaning of Curriculum 

पाठ्यक्रम को अंग्रेजी में कुरिकुलम (Curriculum) कहा जाता है, जो लैटिन भाषा के शब्द कुर्रेर से लिया गया है। इस शब्द का वास्तविक अर्थ तो

दौड़ का मैदान होता है किंतु यह दौड़ का मैदान का अर्थ पाठ्यक्रम से है, अर्थात वह पाठ्यक्रम जिसके द्वारा निश्चित लक्ष्यों को प्राप्त करना होता है,

इसीलिए शाब्दिक अर्थ के अनुसार पाठ्यक्रम वह मार्ग हैं, जिसके अनुसार चलकर विद्यार्थी शिक्षा के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त कर लेते हैं।

पाठ्यक्रम का संकुचित अर्थ Narrow meaning of curriculum

अगर हम पाठ्यक्रम के संकुचित अर्थ के बारे में बात करें, तो पाठ्यक्रम परंपरागत रूप से वह होता है, जिसे अध्ययन का कोर्स कहा जाता है और इसे इंग्लिश में सिलेबस (Syllabus) के नाम से जानते हैं,

क्योंकि इनमें केवल कुछ विषयों के तथ्यों की सीमाएँ निश्चित रहती है। इस प्रकार संकुचित अर्थ के अनुसार पाठ्यक्रम को केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित कर दिया गया है।

पाठ्यक्रम का व्यापक अर्थ Broad meaning of the curriculum

आज के समय में शैक्षिक क्षेत्र में पाठ्यक्रम का स्वरूप बहुत ही व्यापक हो गया है अभी यह केवल अध्ययन का कोर्स सिलेबस नहीं रह गया अब पाठ्यक्रम के अंतर्गत उन समस्त अनुभवों का समावेश हो गया है,

जो बालक के व्यक्तित्व के सर्वागीण विकास के लिए उत्तरदाई होते हैं। अतः पाठ्यक्रम के व्यापक अर्थ के अनुसार पाठ्यक्रम का तात्पर्य विद्यार्थियों के लिए आयोजित उन सभी अनुभवों और क्रियाओं से हैं जो उनके तथा समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पाठ्यक्रम की परिभाषा Definition of Curriculum 

विभिन्न शिक्षाविदों ने पाठ्यक्रम को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है:-

  1. कनिघम महोदय :- ने कहा है कि पाठ्यक्रम कलाकार रूपी शिक्षक के हाथ में एक प्रकार का साधन होता है, जिसके द्वारा वह अपने पदार्थ अर्थात शिक्षार्थी को अपने आदर्श उद्देश्य के अनुसार अपने कलाग्रह रूपी शिक्षालय में चित्रित करता है।
  2. बेंट तथा क्रोनबर्ग :- ने कहा है, कि पाठ्यक्रम पाठ्यवस्तु का ही सुव्यवस्थित रूप होता है, जिसका निर्माण बालकों की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु होता है।
  3. क्रो तथा क्रो:- उनके शब्दों में पाठ्यक्रम में सीखने वाले या बालक के वे सभी अनुभव निहित होते हैं, जिन्हें वह विद्यालय या उसके बाहर प्राप्त करता है। सभी अनुभव एक कार्यक्रम निहित किए जाते हैं, यह जो उसको मानसिक, शारीरिक, संवेगात्मक, सामाजिक, आध्यात्मिक और नैतिक रूप से विकसित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  4. हॉर्नी:- के अनुसार पाठ्यक्रम वह एक सुव्यवस्थित संगठित प्रारूप होता है, जो विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है। यह सीखने एवं शांतिपूर्ण पढ़ने से अधिक होता है, इसमें उद्योग, व्यवसाय, ज्ञान उपार्जन अभ्यास से संबंधित विभिन्न क्रियाकलाप होते हैं।
  5. के.जी. सैयदेन:- के अनुसार उन्होंने कहा है, कि पाठ्यक्रम बालकों के समायोजन की प्रक्रिया का प्रमुख साधन होता है। इसमें बालक दैनिक जीवन के कार्यों में वातावरण के साथ समायोजन करता है, जिनमें बाद में वह अपने क्रियाकलापों को संगठित करता है।
  6. जॉन ड्यूवी :- के अनुसार पाठयक्रम सीखने का विषय है या पाठ्यक्रम पदार्थों विचारों और सिद्धांतों का चित्रण होता है, जो कि उद्देश्य पूर्ण लगातार क्रियान्वयन से साधन या बाधा के रूप में आते जाते हैं।

पाठ्यक्रम की आवश्यकता Utility of Curriculum 

पाठ्यक्रम ही वह एक व्यवस्था होती है, जिसके द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त किया जाता है, कियोकि नियोजित शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम बहुत ही आवश्यक होता है। इसलिए पाठ्यक्रम की उपयोगिता और आवश्यकता को निम्न प्रकार से बताया गया है:-

पाठ्यक्रम शिक्षा के उद्देश्य की पूर्ति के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। शिक्षा की व्यवस्था पाठकक्रम पर ही आधारित होती है, जब पाठ्यक्रम का सही प्रकार से नियोजन नहीं होता

तो शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति नहीं हो पाती है, इसीलिए पाठ्यक्रम का स्वरूप शिक्षा के उद्देश्यों के लिए बहुत ही आवश्यक माना जाता है।

पाठ्यक्रम एक ऐसा लेखा-जोखा होता है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा रहता है, कि शिक्षा के किस स्तर पर कौन-कौन सी विद्यालयों में किस प्रकार की क्रियाएँ किस प्रकार के विषयों के माध्यम से शिक्षा दी जानी

चाहिए इस प्रकार पाठ्यक्रम विद्यालयों के कार्यक्रम की रूपरेखा बनाता है और इसके आधार पर शिक्षा दी जाती है। पाठ्यक्रम के माध्यम से ही छात्रों और शिक्षकों को यह ज्ञात होता है,

कि कितने स्तर पर कितना ज्ञान कितना विषय बालक तथा बालिकाओं को पढ़ाया जाना है, अर्थात पाठ्यक्रम की आवश्यकता के आधार पर ही कोई छात्र यह निश्चित कर पाता है,

कि किसी स्तर के छात्र को क्या ज्ञान दिया जाना है। पाठ्य पुस्तकों का निर्माण भी एक निश्चित पाठ्यक्रम के आधार पर होता है,

पाठक पुस्तकों में वही सामग्री रखी जाती है, जो एक निश्चित स्तर के बालक के लिए अनुकूलतम होती है। पाठ्यक्रम की आवश्यकता व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व विकास दोनों के लिए ही आवश्यक होती है।

चारित्रिक विकास की दृष्टि से पाठ्यक्रम के द्वारा विभिन्न मानवीय गुणों जैसे स्वास्थ्य, सेवा, त्याग, परोपकार, सद्भावना आदि की शिक्षा बालक बालिकाओं को दी जाती है।

वहीं दूसरी तरफ व्यक्तित्व के विकास के लिए बालक के नैसर्गिक गुणों तथा शक्तियों को समुचित तथा उपयोगी साबित करना पाठ्यक्रम का ही प्रभाव होता है

इसलिए पाठ्यक्रम की आवश्यकता सभी विधार्थियो और अध्यापकों को होती है कियोकि इसके द्वारा अध्यापकों को यह ज्ञात होता है,

कि उन्हें किस स्तर के बालक को कितने समय में कितना सिखाना है, जिससे समुचित शक्ति और समुचित समय का उपयोग होता है।

बालक पाठ्यक्रम के माध्यम से ही सही ज्ञान विभिन्न विषयों के अंतर्गत जैसे कि साहित्य, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान आदि प्राप्त कर सकते हैं

और पाठ्यक्रम के रचना के आधार पर उन्हें इस ज्ञान को प्राप्त करने की सफलता सरलता प्राप्त हो जाती है। अतः उक्त विषयों और तथ्यों के आधार पर यह

अनुमान लगाया जा सकता है कि पाठ्यक्रम की आवश्यकता समाज के विकास तथा शैक्षिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

दोस्तों आपने इस लेख में पाठ्यक्रम का अर्थ पाठ्यक्रम क्या है? पाठ्यक्रम की परिभाषा के साथ ही पाठ्यक्रम की आवश्यकता के बारे में जाना आशा करता हूँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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