कोठारी कमीशन के गुण और दोष Merits and Demerits of Kothari Commission
हैलो दोस्तों नमस्कार आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख कोठारी कमीशन के गुण और दोष (Merits and Demerits of Kothari Commission) में। दोस्तों यहाँ पर आज आप कोठारी कमीशन के गुण और दोष के बारे में जानेंगे कि वे कौन से गुण है
जो कोठारी कमीशन को शिक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण तथा कौनसे वे दोष है, जो शिक्षा की दृष्टी से महत्वपूर्ण नहीं है। तो आइये शुरू करते है यह लेख कोठारी कमीशन के गुण और दोष:-
कोठारी कमीशन के गुण Merits of kothari commission
- आयोग के द्वारा शिक्षा के सभी स्तरों को मुख्य रूप से अपनाया गया और इसमें यह सुझाव दिए गए कि सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा के सभी स्तरों में सुधार होना बहुत ही आवश्यक है। सामाजिक परिवर्तन का प्रभावशाली माध्यम के रूप में शिक्षा को प्रमुख रूप से अपनाया गया।
- कोठारी आयोग के द्वारा संपूर्ण देश में समान स्कूलों की व्यवस्था की गई और यह समान स्कूल समाजवाद तथा समानता पर आधारित थे, जहाँ पर हर किसी वर्ग के बालक तथा बालिकाओं को शिक्षा के अवसर प्रदान थे।
- शिक्षा के सभी स्तरों पर त्रिभाषा सूत्र मैं परिवर्तन का सुझाव कोठारी कमीशन के द्वारा दिया गया, जिससे भाषा की समस्या को भी आसानी से हल किया जा सकता था।
- कोठारी कमीशन के द्वारा विज्ञान गणित तथा तकनीकी विषयों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया, क्योंकि यह विषय देश के विकास तथा उन्नति के लिए महत्वपूर्ण राह प्रशस्त करते हैं।
- कोठारी कमीशन द्वारा यह भी प्रस्ताव पेश किया गया था, कि 1986 तक माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा नि:शुल्क कर दी जाएगी, जिससे सभी वर्ग के बालक तथा बालिकाओं को शिक्षा प्राप्त हो सकेगी तथा शिक्षा का स्तर बढ़ेगा।
- तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था में जो भी अनियमिततायें मिली कोठारी कमीशन के द्वारा उन अनियमिततायें की कठोर आलोचना की गई और उनको सुधारने के प्रयास किए गए और उनके संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए।
- कोठारी कमीशन के द्वारा प्राथमिक स्तर से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक पाठ्यक्रम में बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव तथा परिवर्तन किए जिससे पाठ्यक्रम लचीला तथा छात्र उपयोगी बनाया गया।
- इस आयोग के द्वारा अध्यापकों की वर्तमान स्थिति उनके वेतन पदोन्नति आदि के बारे में भी अध्ययन किया गया और उनके वेतन संबंधी विभिन्न मुद्दों में सुधार करके आकर्षक और लाभदायक बनाया गया।
कोठारी कमीशन के दोष Defects of Kothari Commission
- कोठारी आयोग के द्वारा महात्मा गांधी द्वारा प्रदत्त बेसिक शिक्षा की उपेक्षा की गई आयोग के द्वारा बेसिक शिक्षा का कहीं पर भी अपने सुझावों में उल्लेख नहीं किया गया इसीलिए जी० एस० आचार्य ने कोठारी आयोग के प्रतिवेदन को बेसिक शिक्षा का मृत्यु पत्र कहकर सम्बोधित किया है।
- आयोग का विभिन्न शिक्षा स्तर में अंग्रेजी को अनिश्चितकालीन महत्व देना भी एक दोष था, इसलिए प्रकाशवीर शास्त्री ने इस विषय में कहा, कि कोठारी आयोग द्वारा अंग्रेजी शिक्षा को अनिश्चितकालीन महत्व देकर अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र रचा गया है।
- कोठारी आयोग के द्वारा शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए जो भी प्रतिवेदन तैयार किए गए उनमें नैतिक तथा आध्यात्मिक विषयों को किसी भी प्रकार का स्थान नहीं दिया गया केवल उनकी चर्चा की गई, जो इस शिक्षा नीति का दोष है।
- आयोग के सुझावों पर विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों ने आलोचना करते हुए कहा है, कि कोठारी आयोग ने इस प्रकार के सुझाव दिए हैं जो कि आदर्शवादी हैं यह व्यवहारिक नहीं है और यह शैक्षिक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
- स्त्री शिक्षा के संबंध में आयोग द्वारा जो सुझाव पेश किए हैं वह अपर्याप्त हैं इनसे लगता है कि स्त्री शिक्षा की कोठारी आयोग के द्वारा अवहेलना की गई है।
- आयोग द्वारा शिक्षा व्यवस्था के स्तर में जो भी लिपि का प्रयोग किया गया वह लिपि रोमन लिपि नहीं और रोमन लिपि में विभिन्न प्रकार की गलतियाँ देखने को मिलती है अर्थात शिक्षा के स्तर में देवनागरी लिपि के जगह पर रोमन लिपि को शामिल करना का इस शिक्षा नीति का दोष था।
दोस्तों यहाँ पर आपने कोठारी कमीशन के गुण और दोष (Merits and Demerits of Kothari Commission) के साथ अन्य तथ्य पढ़े। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
इसे भी पढ़े:-
0 टिप्पणियाँ