राजा दशरथ का विवाह king Dasharatha's marriage

राजा दशरथ का विवाह Raja dashrath ka vivah 

हैलो दोस्तों आपका इस लेख राजा दशरथ का विवाह (King Dasharatha's marriage) में बहुत बहुत स्वागत है। दोस्तों इस लेख राजा दशरथ का विवाह कैसे और किससे हुआ था बताया गया है,

हमने पिछली पोस्ट में राजा दशरथ की जन्म कथा और राजा दशरथ की कहानी बताई थी इस लेख में उनका लिंक दे दिया जायेगा, तो दोस्तों बढ़ते है इस लेख राजा दशरथ का विवाह में :-

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राजा दशरथ का विवाह

राजा दशरथ कौन थे who was dashrath 

राजाओं में महान पराकर्मी प्रजावत्सल राजा थे दशरथ जिन्होंने महान व्यक्तित्व इक्ष्वाकु कुल में जन्म लिया था

राजा दशरथ के पिता का नाम राजा अज था तथा माता का नाम इंदुमती था राजा दशरथ सरयू नदी किनारे बसी राजधानी अयोध्या के राजा थे

जिसे इक्ष्वाकु ने बसाया था राजा दशरथ के चार पुत्र थे राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न राजा दशरथ रघुवंशी राजा थे जिन्होंने अपने वचन तथा पुत्र वियोग में प्राण त्याग दिए

राजा दशरथ का विवाह


राजा दशरथ का विवाह king Dasharatha's marriage

राजा दशरथ का विवाह - राजा दशरथ के तीन विवाह हुये थे सबसे पहले उनका विवाह कौशल देश की राजकुमारी कौशल्या से हुआ

दूसरा केकय देश की राजकुमारी कैकई से तथा तीसरा विवाह काशी नरेश की राजकुमारी सुमित्रा से हुआ। राजा दशरथ का विवाह कैसे हुआ जानते है विस्तार से

राजा दशरथ का विवाह कौशल्या के साथ king Dasaratha married with Kaushalya

कौशल्या राजा दशरथ की पहली पत्नी तथा रामायण की वह प्रमुख पात्र थी जिन्हे श्रीराम की माँ होने का गौरव प्राप्त है।

रानी कौशल्या कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थी। उनका जन्म जन्म वर्तमान छत्तीसगढ़ में ही हुआ था।

रानी कौशल्या के पिताजी का नाम राजा सुकौशल था तथा माताजी का नाम अमृतगाथा राजा सुकौशल कौशल देश के राजा थे।

ऐसी मान्यता है, कि कौशल्या आदिति का अवतार है। तथा उनका नाम कौशल्या भी कौशल देश के नाम के कारण हुआ।

राजकुमारी कौशल्या जब विवाह के योग्य हुई तो उनके पिताजी सुकौशल को राजकुमारी के विवाह की चिंता होने लगी तब राजा सुकौशल ने चारों दिशाओं में अपनी सुपत्री के लिए सुयोग्य वर खोजने के लिए दूंतों को भेजा

किंतु दुर्भाग्यवश उसी समय राजा दशरथ अपना राज्य विस्तार कर रहे थे और उन्होंने कौशल देश में एक प्रस्ताव भेजा की राजा सुकौशल राजा दशरथ की अधीनता स्वीकार कर मित्रता करें या फिर युद्ध के लिए तैयार हो जाएँ

सुकौशल के राजा ने इस प्रस्ताव को अपना अपमान समझा की अगर मित्रता स्वीकार करते है तो प्रजाजन समझेंगे की सुकौशल के राजा ने

राजा दशरथ के शौर्य तथा पराक्रम से भयभीत होकर मित्रता स्वीकार कर ली है। इसलिए अपने आत्मसम्मान के लिए महाराज सुकौशल ने युद्ध का रास्ता अपनाया

और दोनों राजाओं के बीच भयंकर युद्ध हुआ राजा सुकौशल ने अपने बहादुर सैनिकों के साथ राजा दशरथ की विशाल सेना का डटकर सामना किया किन्तु राजा दशरथ ने राजा सुकौशल को पराजित कर दिया।

परन्तु राजा दशरथ ने राजा सुकौशल को अपने अधीन नहीं किया बल्कि मित्रता का हाँथ बढ़ाया जिससे राजा सुकौशल बड़े ही प्रसन्न हुये और उन्होंने इस मैत्री को संबंध में बदलने का प्रयत्न किया

तथा अपनी पुत्री कौशल्या का विवाह राजा दशरथ से करने का प्रस्ताव रखा राजा दशरथ भी इस प्रस्ताव से बड़े खुश हुये

और उन्होंने राजकुमारी कौशल्या से विवाह कर लिया तथा राजकुमारी कौशल्या को रानी का मान-सम्मान तथा गौरव प्राप्त हुआ।

राजा दशरथ का विवाह कैकई के साथ king Dasaratha's marriage with Kaikai

कैकई केकय देश की राजकुमारी थी। उनके पिताजी का अश्वों के राजा अश्वपति तथा माता जी शुभलक्षणा थी । कैकई ने ही महान धर्मात्मा पुत्र भरत को जन्म दिया था।

भरत जैसा महान कोई भी नहीं हुआ कियोकि इतना बड़ा साम्राज्य भातृ प्रेम के कारण तिनके के समान भरत जैसा महात्मा ने त्याग दिया। 

राजकुमारी कैकेई सुंदर होने के साथ-साथ वीर भी थी कैकई ने देवासुर संग्राम में महाराजा दशरथ की सहायता भी की थी।

जिससे प्रसन्न होकर महाराजा दशरथ ने उन्हें दो वह मांगने के लिए कहा और कैकई ने समय आने पर माँगने के लिए कह दिया.

जब राजा दशरथ केकय राजा अश्वपति के निमंत्रण पर उनके महल गए तब उनके स्वागत के लिए तैयारियाँ की जा रहीं थी। 

राजकुमारी कैकई भी उनके स्वागत में लगी हुई थी। यहाँ तक की नगर की जनता उनके स्वागत की तैयारियाँ कर रही थी। सभी प्रजाजन जानते थे कि महाराजा दशरथ एक परम प्रतापी राजा हैं।

और राजा हरिश्चंद्र के सामान गुणों में सम्पन्न है। राजा दशरथ राजकुमारी कैकई की सुंदरता पर मुग्ध हो गए और राजा दशरथ ने राजा अश्वपति से राजकुमारी कैकई से विवाह करने का प्रस्ताव रखा।

परन्तु राजा अश्वपति ने कैकई से विवाह करने की एक ही शर्त रखी कि कैकई का पुत्र ही अयोध्या का उत्तराधिकारी होगा और राजा दशरथ ने वचन दिया

इसके पश्चात राजा दशरथ का विवाह कैकई के साथ हुआ। और राजा दशरथ कैकई को अयोध्या ले आये राजा दशरथ कैकई से सबसे अधिक प्रेम करते थे.

राजा दशरथ का विवाह सुमित्रा के साथ king Dasaratha's marriage with Sumitra

रानी सुमित्रा रामायण की एक प्रमुख पात्र तथा धैर्य और शांति की प्रतिमूर्ति थी। जो काशी नरेश की पुत्री थी.  सुमित्रा बचपन से ही बड़ी ही सीधी-सादी तथा शांत और सेवा भाव की जीती जगती प्रमाण थी।

जब रानी कौशल्या तथा रानी कैकई से राजा दशरथ को संतान की प्राप्ति नहीं हुई । तब उन्होंने काशी की राजकुमारी सुमित्रा से विवाह किया था।

किंतु दुर्भाग्यवश उनसे भी संतान ना हुई रानी सुमित्रा अपनी सबसे बड़ी सौतन कौशल्या के प्रति सेवा भावना रखती तथा उनका ख्याल रखती थी। सुमित्रा ने अपना समय कौशल्या की सेवा में व्यतीत किया 

और उन्हीं के साथ रहना पसंद करती थी जबकि राजा दशरथ कैकई से अधिक प्यार करते थे और अधिक समय कैकई के पास रहा करते थे। 

सुमित्रा सबसे अधिक होशियार और संयम से काम लेती थी। रानी सुमित्रा प्रत्येक कार्य सोच समझकर ध्यान से करती थी। जिसका प्रमाण उन्होंने मुश्किल घड़ियों में दिया

जब भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उन्होंने अपने एक पुत्र लक्ष्मण को भगवान श्रीराम की सेवा में लगा दिया।

जबकि लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला रानी कौशल्या की सेवा में और शत्रुघ्न भारत की सेवा में प्रस्तुत हुआ और शत्रुघ्न की पत्नी ऋतुकीर्ति को केकई की सेवा में लगा दिया था। जिससे स्पष्ट होता है कि महारानी सुमित्रा तीनों रानियों में महान थी।

दोस्तों आपने इस लेख में राजा दशरथ का विवाह (King dashrath's Marriage) कैसे और किससे हुआ पड़ा।आशा करता हूं आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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